कविता : "निराशा की खाई से: उठो और जीतो"

आत्मा को उजागर करना: विपत्तियों को चुनौती देना

रचना श्रीवास्तव

5/20/20231 min read

आँसू भरे दिन भले हों, या हो सिसकियों की रातें

मौत की तनहाइयों में भी, तू जिंदगी के गीत गा ले।

परीक्षाओं की घड़ी हो, विपदाएँ आ पड़ी हों

चक्रव्यूह तोड़कर तू, चुनौतियों पे जीत पा ले।

भँवर में डोलती नाव हो, हार न मान जीवन दाँव हो

माँझी तुझे नही है टूटना,तू साहिलों के पार हो ले ।

हैवानियत हावी हो या,दम तोड़ती इंसानियत हो

वजूद की छिड़ी जंग हो,तो तू हौसले से जीत पा ले।

हर कदम चुनौतियाँ हों,हर डगर पर मुश्किलें हों

जीवट का अपने दम दिखा,न मौत से तू मात खा ले।