कविता: मुश्किल

खुद को संभाले रखना

रचना श्रीवास्तव

7/15/20231 min read

मुश्किल है खुद को बचाये रखना

अपने को अपने अंदर समाए रखना

मुश्किल है तुफानो को दबाए रखना

आँसुओं को पलकों में छुपाए रखना

मुश्किल है रुंधे गले को दबाए रखना

जमाने में बुलंद आवाज़ बनाए रखना

मुश्किल है ज़हर कंठ में छुपाए रखना

लबों पर झूठी मुस्कान बनाए रखना

मुश्किल है उससे रिश्ता बनाए रखना

हर पल याद का नश्तर चुभाए रखना