नज़्म

"सावन की रातों में

रचना श्रीवास्तव

7/15/20231 min read

अब के सावन में ऐसी बरसात हुई,

घटा की आँसुओं से जाने क्या बात हुई।

राह ए वफ़ा पे क्या हम पे गुज़री है,

मंज़िल पे हमसे हमारी न मुलाक़ात हुई।

हर इक मोड़ पे ढूंढा किए हम उसको,

ये कैसे भरम की पशेमानी मेरे साथ हुई।

क्या ग़ज़ब है लेखा मेरे नसीबों का,

मेरे ही क़ातिल से मेरी मुलाक़ात हुई।