नज़्म : उफ़क

यह कविता/ग़ज़ल निम्न बातों का वर्णन करती है!

रचना श्रीवास्तव

7/8/20231 min read

उफ़क पे एक चाँद उगा

रात हसीन हो गई

आँखों की गुलाबी झील में

चाँदनी खो गई

बूटा बूटा तारे बरसे और

ओस गुलों पे सो गई

अब्र के सुरमई आग़ोश में

शब ये ग़ज़ल हो गई!!!